
_सुरेन्द्रसिंह रघुवंशी_
विदिशा -गंजबासौदा:: यदि शासकीय राजीव गांधी जन चिकित्सालय में एनएस नामक ड्रिप होती तो शायद दीपिका की मौत न होती
आज शासकीय राजीव गांधी जन चिकित्सालय में अस्पताल प्रभारी डॉ दिवान की निरंकुशता का मामला सामने आया है। इस चिकित्सा प्रभारी की लापरवाही का खामियाजा एक महिला को दवा के अभाव में मौत से सामना कर उठाना पड़ा। ग्राम मोहासा की दीपिका नामक विवाहित महिला ने अपने गांव पर आपसी विवाद में कुछ जहरीला पदार्थ खा लिया था। जिसे गंभीर हालत में उसके ससुराल वाले हॉस्पिटल लेकर आए। उपचार के दौरान महिला की मौत हो गई। कुछ समय तक तो अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों को भी यह समझ में नहीं आया की महिला के साथ क्या हुआ है या उसे क्या बीमारी है।
जब डॉक्टरों को परिजनों से पता चला की महिला ने शायद ज़हरीला पदार्थ खाया है तब डॉक्टर ने उसका जहर के बचाव का इलाज करना प्रारंभ किया। इलाज के दौरान एनएस नामक ड्रिप मरीज को चढ़ानी थी ताकि उसका उल्टी के माध्यम से पेट से जहरीले पदार्थ को निकाला जा सके। पर इलाज के दौरान अस्पताल के स्ट्रोर रूम में यह ड्रिप स्टॉक में नहीं मिली।
जिसे लेने के लिए अस्पताल के कर्मचारियों ने मरीज के पति को ही बाजार से खरीदने भेज दिया।
पर भारत बंद आवाहन पर नगर के सभी व्यापारिक प्रतिष्ठानों के साथ मेडिकल दुकानें भी बंद थी। जिसके कारण मरीज का पति बाजार में दवाई यहाँ से वहां ढूढता रहा जैसे तैसे उसे ड्रिप तो मिल गई पर लाने में काफी समय व्यतीत हो गया ओर जब तक वह ड्रिप अस्पताल में लेकर पहुँचा तब तक महिला की मौत हो चुकी थी ।
ज्ञात हो कि शासन द्वारा चिकित्सा प्रभारियों को स्प्ष्ट निर्देश दिए गए है
शासकीय अस्पतालों में बाहर से इलाज के लिए मरीज से कोई भी दवा नहीं मंगाई जाए।
साथ ही साथ सभी दवाएं अस्पताल में ही उपलब्ध कराई जाएं।
लेकिन शासकीय राजीव गाँधी जन चिकित्सालय में प्रभारी चिकित्सक प्रमोद दिवान की लापरवाही से जमीनी हकीकत कुछ और ही है। कभी भी किसी गंभीर बीमारी या इस तरह के जहरीले पदार्थ सेवन वाले मरीजो की दवाएं शासकीय अस्पतालों में उपलब्ध नहीं होती है। इसका परिणाम यह होता है कि मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।
सीएमएचओ को कुछ दिन पूर्व ही आवश्यक दवाएं न रहने की शिकायत पत्रकारों ने की थी
ज्ञात हो कि विंगत दिनों सीएचएमओ के अस्पताल निरक्षण के दौरान पत्रकारों ने इस सम्बंध में उन्हें जनाकारी दी थी कि अस्पताल में अति आवश्यक दवाएं उपलब्ध नही रहती तब उस समय प्रभारी चिकित्सक प्रमोद दिवान ने सीएचएमओ को बताया था कि अस्पताल में *सभी पर्याप्त दवाएं मौजूद है।
लेकिन आज दीपिका की मौत ने अस्पताल प्रबंधन की पोल खोल दी। आज यदि एनएस नामक ड्रिप अस्पताल में उपलब्ध होती है तो शायद दीपिका की मौत न होती।
मृतका के परिजनों ने मौत के लिए अस्पताल प्रबंधन पर लगाया आरोप
वहीं दूसरी ओर मृतका के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल में दवा के अभाव में उनके मरीज की जान गई है। यदि अस्पताल में यह ड्रिप होती तो उनकी दीपका की जान बच सकती थी।
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