नई दिल्ली। एसबीआइ की बैलेंस शीट का आकार 175 देशों के सकल घरेलू उत्पाद से भी ज्यादा है। वर्तमान में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसकी हिस्सेदारी 1.1 प्रतिशत और भारत की जीडीपी में 16 प्रतिशत का योगदान देता है।

देश के सबसे बड़े बैंक की स्थापना के 70 वर्ष पूरा होने पर बैंक ने कहा कि सभी सरकार प्रायोजित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के कार्यान्वयन में अब बैंक की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत से अधिक है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत बैंक ने 15 करोड़ खाते खोले हैं।

प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के तहत 14.6 करोड़ लोगों को, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) के तहत 6.7 करोड़ लोगों को और अटल पेंशन योजना (एपीवाई) में 1.73 करोड़ लोगों को नामांकित किया है।

बैंक ने वित्त वर्ष 2025 में सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के लाभ में 40 प्रतिशत का योगदान दिया और कारपोरेट आयकर (आकलन वर्ष 2026) में 2.53 प्रतिशत का योगदान दिया। बैंक द्वारा साझा किए गए आंकड़ों से पता चला है कि एसबीआइ के ग्राहकों (52 करोड़) की संख्या अमेरिका की आबादी से भी ज्यादा है।

अगर बैंक के ग्राहकों को जनसंख्या मान लिया जाए तो यह तीसरा सबसे बड़ा देश है। बैंक के अनुसार, एसबीआइ योनो एप पंजीकरण 8.8 करोड़ तक पहुंच गया है और लगातार इसके ग्राहकों की संख्या बढ़ती जा रही है। सिर्फ येनो एप ग्राहकों को आबादी के लिहाज से देखें तो यह 18वां सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक 23,000 से अधिक शाखाओं, 78,000 ग्राहक सेवा केंद्रों (सीएसपी) और 64,000 एटीएम के साथ, आज एसबीआइ की स्थिति बहुत मजबूत है और यह वास्तव में हर भारतीय का बैंकर है। पिछले दशक में इसने जो डिजिटल परिवर्तन किए हैं, वह इसके ग्राहकों के लिए बेहद फायदेमंद रहा है।